खंडवा- जिले में मानसून का असर इस बार कमजोर रहा है। पिछले 24 घंटों में जिले में मात्र 2.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई। पुनासा में 10 मिमी, खंडवा और खालवा में 2-2 मिमी वर्षा हुई, जबकि हरसूद और पंधाना में एक बूँद भी बारिश नहीं हुई।
अगर बीते वर्षों के आंकड़े देखें तो यह स्थिति और भी गंभीर प्रतीत होती है। 26 अगस्त 2024 तक जिले में 685 मिमी औसत वर्षा हो चुकी थी, जबकि इस वर्ष अब तक केवल 485.4 मिमी ही वर्षा दर्ज हुई है। यह सामान्य औसत 808 मिमी से काफ़ी कम है।
तहसीलवार स्थिति पर नज़र डालें तो खंडवा तहसील में 638 मिमी, पुनासा में 545 मिमी, खालवा में 483 मिमी, हरसूद में 473 मिमी और पंधाना में मात्र 288 मिमी वर्षा हुई है। विशेषकर पंधाना और हरसूद की स्थिति चिंताजनक है।
कम होती बारिश का सीधा असर किसानों और उनकी खरीफ फसलों पर पड़ सकता है। सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी न होने पर पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ना तय है। वहीं जलस्रोतों में पानी का स्तर भी कम हो सकता है, जिससे पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
किसानों के लिए सुझाव
1. सूखा सहनशील फसलों की बुवाई: कम पानी में भी उत्पादन देने वाली दालें, तिलहन और मोटा अनाज जैसी फसलों को प्राथमिकता दें।
2. जल संरक्षण पर ध्यान: खेतों में मेड़बंदी, टपक और स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाएं।
3. फसल बीमा योजना का लाभ लें: संभावित नुकसान की भरपाई के लिए समय पर बीमा करवाएं।
4. पशुओं के लिए चारे का प्रबंधन: कम वर्षा के कारण चारे की कमी हो सकती है, पहले से भंडारण करें।
5. कृषि विभाग की सलाह लें: स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से नियमित जानकारी लेते रहें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सितंबर माह में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई तो जिले में जल संकट और कृषि संकट दोनों गहरा सकते हैं। प्रशासन को अभी से वैकल्पिक जल प्रबंधन योजनाओं पर काम शुरू करना होगा।
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